कैंसर का नाम सुनते ही हम डर जाते हैं फिर वह चाहे फेफड़ों का (लंग) कैंसर हो, ब्रेस्ट कैंसर हो या फिर ब्लड कैंसर. इस Article में हम "फेफड़े (लंग) कैंसर के लक्षण, कारण, पहचान, बचने के उपाय" से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे.
वैसे तो कैंसर करीब 200 से अधिक प्रकार का होता है परंतु पूरे विश्व में सर्वाधिक मृत्यु फेफड़ों के कैंसर से होती है. आज के इस पोस्ट में हम लोग फेफड़ों के कैंसर से जुड़े सभी प्रकार की बातों को जानेंगे.
लंग कैंसर कैसे होता है? सबसे पहले यह जानते हैं फेफड़ों के कैंसर का शुरुआती लक्षण क्या है ? क्योंकि अगर हमें शुरुआत में ही (लंग) फेफड़ों के कैंसर के बारे में पता चल जाए तो समय रहते हम इसका इलाज कर सकते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी की दुनिया भर में कैंसर से मरने वालों की संख्या में 19% लोग लंग कैंसर यानी फेफड़ों के कैंसर से मरते हैं और कैंसर के जितने नए मामले आते हैं उनमें करीब 13% लंग कैंसर यानी फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित होते हैं.
अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि सिगरेट पीने वाले लोगों में लंग कैंसर अधिक होता है परंतु आजकल उन लोगों में भी लंग कैंसर देखा जा रहा है जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं.
अगर बात करें जीवित रहने की दर (Survival Rate) की तो केवल 4% मरीज ही चौथे स्टेज के बाद बच पाते हैं. अगर Start में ही हमें इस बीमारी के बारे में पता चल जाये तो 15% चांस है कि मरीज 5 साल तक और जी सकेगा.
आईये जानते हैं लंग कैंसर यानि फेफड़ों के कैंसर में शुरूआती लक्षण क्या है?
फेफड़े (लंग) कैंसर के लक्षण: Lung cancer symptoms in Hindi
लंग(फेफड़ों) कैंसर के शुरूआती लक्षण कुछ इस प्रकार हैं.
बार-बार खाँसी आना और छाती में दर्द : लंग कैंसर की यह पहली पहचान है. लंग कैंसर से पीड़ित व्यक्ति खाँसी से परेशान रहता है और उसकी ख़ासी ठीक नहीं होती है और अगर ठीक भी होती है तो कुछ समय बाद वापस आ जाती है. बार-बार खांसी आने से मरीज व्यक्ति के छाती में दर्द उत्पन्न हो जाती है.
खाँसी आने पर खून के छींटे आना : जब लंग कैंसर जब थोड़ा पुराना होता है तो खांसी आने पर मरीज के मुँह से खून के छींटे भी आने लगते हैं.
गला बैठ जाना और साँस लेने में तकलीफ होना : जब मरीज के फेफड़े का कैंसर धीरे-धीरे पुराना होना शुरू होता है तो मरीज को साँस लेने में तकलीफ, गला बैठ जाना और साँस फूलना आदि लक्षण दिखने लगते हैं.
थकावट वजन का तेजी से घटना : आपने अक्सर देखा होगा कि कैंसर से पीड़ित व्यक्ति बहुत ही दुबला हो जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कैंसर से पीड़ित होने के कारण मरीज का वजन तेजी से कम होने लगता है जिसकी वजह से मरीज को थकावट महसूस होती है.
लंग कैंसर होने का कारण (Causes of Lung Cancer in Hindi)
लंग कैंसर कैसे होता है? वैसे तो फेफड़ों का कैंसर कई कारणों (Causes of Lung Cancer) से हो सकता है. लेकिन मैं यहां पर कुछ मुख्य कारण बता रहा हूं. जिससे आपको यह अंदाजा हो जाएगा कि फेफड़ों का कैंसर किन कारणों से होता है?
1. धूम्रपान करने से और तंबाकू खाने से : यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से तंबाकू और धूम्रपान का सेवन कर रहा है तो इसके बहुत ही ज्यादा चांसेस कि वह व्यक्ति फेफड़ों के कैंसर(Lung Cancer) से प्रभावित हो जाएगा.
ऐसा देखा गया है कि 80% से 90% लंग कैंसर तंबाकू और धूम्रपान के सेवन से होता है. तंबाकू और धूम्रपान का सेवन न करने पर भी 10-15% लोग लंग कैंसर का शिकार हैं.
2. रेडॉन की संपर्क में आने से : अगर कोई व्यक्ति नाभिकीय रिएक्टर में काम करता है जहां पर यूरेनियम, थोरियम ,रेडान आदि रेडियोधर्मी तत्व पाए जाते हैं तो उस व्यक्ति को भी फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा रहता है क्योंकि रेडान एक रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी में मौजूद यूरेनियम की एक छोटी मात्रा होती है और इसके संपर्क में आने से व्यक्ति को फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.
3. वायु प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र में रहने से : कुछ समय पहले तक डॉक्टरों का यही मानना था कि जो व्यक्ति सिगरेट पीता है या फिर धूम्रपान अथवा तंबाकू का सेवन करता है उसी व्यक्ति को ही फेफड़ों का कैंसर(Lung Cancer) हो सकता है.
परंतु अब यह धारणा पूरी तरह बदल गई है क्योंकि कई मामलों में देखा गया है कि जो व्यक्ति धूम्रपान, सिगरेट अथवा तंबाकू का सेवन नहीं करता था उसमें भी फेफड़ों का कैंसर(Lung Cancer) पाया गया है.
ऐसे में जांच से पता चला कि वायु प्रदूषण क्षेत्र में रहने से भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है. तंबाकू और धूम्रपान का सेवन न करने के बाद भी लंग कैंसर वाले लोग 10-15% ही है.
लंग(फेफड़ों) कैंसर से बचने के उपाय
धूम्रपान को कहिये बाय-बाय : जी हां ! अगर आप फेफड़ों के कैंसर से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको धूम्रपान जैसे कि सिगरेट, तंबाकू, गुटखा आदि से दूर रहना है. यदि आप उनका सेवन भी कर रहे हैं तो उसे बाय-बाय कह दीजिए और अभी से उनका सेवन बंद कर दीजिए.
प्रदूषित क्षेत्र में जाने से बचे : चूँकि लंग कैंसर वायु प्रदूषण से भी फैलता है इसलिए आपको रेडियो एक्टिव क्षेत्र और अत्यधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों से दूर रहना चाहिये.
नियमित व्यायाम करना और डॉक्टर की संपर्क में रहना : लंग कैंसर से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को नियमित व्यायाम करना चाहिए. जिससे आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहे तथा शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
फेफड़े (लंग) कैंसर का इलाज : Lung cancer treatment in Hindi
वैसे तो लंग कैंसर से पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो सकता क्योंकि ऐसे कई मामले देखे गए हैं जिसमें मरीजो के स्वस्थ होने की दर बहुत ही कम है विकिपीडिया के अनुसार लंग कैंसर से पीड़ित मरीजों में केवल 15% मरीज ही इलाज के बाद 5 साल तक जीवित रह पाते हैं.
फिर भी इस टेक्नोलॉजी की दुनिया में वर्तमान में फेफड़े (लंग) कैंसर के इलाज के लिए शल्यक्रिया(सर्जरी), रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेटेड दवा थेरेपी, होम्योपैथिक आदि आईये अब थोड़ा विस्तार से जानते हैं.
शल्यक्रिया(सर्जरी-Operation): इस प्रक्रिया में आपका सर्जन, फेफड़े में ट्यूमर वाले स्थान को काट के निकाल देता है.
अगर ट्यूमर पूरे फेफड़े में फैल गया है तो निमोनेक्टोमी(Pneumonectomy) प्रक्रिया द्वारा एक पूरे फेफड़े को निकाल दिया जाता है.
कीमोथेरेपी : इस थेरेपी के माध्यम से सर्जन आपके शरीर के अंदर बची हुई कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी का इस्तेमाल करता है.
कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि कीमोथेरेपी करने से कैंसर की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं तथा उन्हें निकालने में आसानी होती है. कई मामलों में दर्द से बचने के लिए भी कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया गया है.
रेडियोथेरेपी : अगर लंग कैंसर किसी ऐसे जगह पर है जहाँ से उसे सर्जरी के द्वारा नहीं निकाला जा सकता, उस स्थिति में रेडियोथेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है.
कभी-कभी सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए भी रेडियोथेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है.
Targeted Durg Therapy (टार्गेटेड दवा द्वारा उपचार) : कीमोथेरिपी के साथ ही आवश्यक दवाओं को देकर इस नई थेरेपी के द्वारा लंग कैंसर का इलाज(Lung Cancer Treatment in Hindi) किया जाता है.
लंग कैंसर लास्ट स्टेज
- जब कैंसर Lymph Nodes (लिम्फ नोड्स) तक नहीं पंहुचा होता है केवल एक ही फेफड़े तक सीमित रहता है.
- जिस फेफड़े में कैंसर हुआ होता है उस फेफड़े के लिम्फ नोड्स(Lymph Nodes) तक फैल जाता है.
- इस चरण में कैंसर संक्रमित फेफड़े के स्वांस नली, दूसरे फेफड़े के लिम्फ नोड्स आदि तक पहुँच जाता है.
- दोनों फेफड़ों और शरीर के अन्य हिस्सों तक कैंसर पहुँच जाता है.
लंग कैंसर में क्या खाना चाहिए?
- ऐसे फल एवं भोज्य पदार्थों का सेवन करें जिन से विटामिन-सी (Vitamin-C) मिलता हो. जैसे : आँवला
- Selenium foods का इस्तेमाल करना चाहिए जिसमें अण्डे, माँस, मछली, तिल के बीज, सूरजमुखी के बीज, साबुत अनाज आदि का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.
- ग्रीन टी (Green Tea) का इस्तेमाल और विटामिन डी3 (Vitamin D3) इस्तेमाल करने की सलाह भी लंग कैंसर पीड़ित मरीजों को दिया जाता है.
- ग्रीन टी (Green Tea) में पाए जाने वाला पॉलीफेनोल नामक तत्व कैंसररोधी होता है. इस लिए डॉक्टर्स के द्वारा मरीजों को दिन में दो बार ग्रीन टी पीने की सलाह दी जाती है.
Aapka samjhane ka tareeka kaafi badiya hai
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