सैयद वंश या सैय्यद वंश (Sayyid dynasty) in hindi

सैयद वंश या सैय्यद वंश (sayyid dynasty): दिल्ली सल्तनत के विघटन की प्रकिया जोकि मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में ही आरम्भ हो चुकी थी, उसके मृत्यु के पश्चात भी यह विघटन जारी रहा.

तुगलक वंश के शासन की समाप्ति जोकि 1414ई में हुई थी. इस वंश के समाप्त होने तक उत्तरी, पूर्वी तथा दक्षिणी भागों में अनेक राज्यों में खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था. 

तैमूर लंग के आक्रमण ने एक विशाल साम्राज्य को समाप्त कर दिया तथा दिल्ली की गद्दी पर एक नए राज वंश का शासन स्थापित हो गया जोकि सैयद वंश या सैय्यद वंश के नाम से जाना गया.

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सैयद वंश या सैय्यद वंश (Sayyid dynasty in hindi)

यहाँ पर हमने केवल उन्हीं तथ्यों  है जो अकसर परीक्षा में पूछे जाते हैं.

सैयद वंश या सैय्यद वंश के प्रमुख शासक


सैयद वंश या सैय्यद वंश स्वयं को इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद का वंशज मानते थे.
भारत में सैय्यद वंश का संस्थापक (founder of sayyid dynasty) खिज्र खाँ अपना सीधा संबंध पैगम्बर मुहम्मद साहब से जोड़ता था. 

परंतु यह कितना सही है इस विषय के स्पष्टीकरण के लिए प्रमाण उपलब्ध नहीं है. पर इतना सत्य है कि खिज्र खां के पूर्वज अरब देश से आकर भारत में बस गए थे.

सैयद वंश में जितने भी महान शासक हुए और जिन से परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते है उन सभी के बारे में हमने यहाँ विस्तार से बताया है।

सैयद वंश : खिज्र खाँ - Founder of Sayyid dynasty


शासन काल : (1414ई. -1421ई.)




सैय्यद वंश के प्रमुख शासकों में सबसे पहला शासक सैय्यद वंश का संस्थापक (founder of sayyid dynasty) खिज्र खाँ था. 

खिज्र खाँ के पिता का नाम नासिरुलमुल्क मर्दाना दौलत था. नासिरुलमुल्क फिरोजशाह का अमीर तथा उसके दत्तक पुत्र मालिक सुलेमान का पुत्र था.

सैय्यद वंश , दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला एक मात्र 'शिया वंश' था। जब तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया तो खिज्र खाँ ने उसकी सहायता की तथा खिज्र खां ने तैमूर की अधीनता स्वीकार कर ली। जब तैमूर भारत से वापस जाने लगा तो वह खिज्र खां से प्रसन्न हो कर उसे लाहौर, मुल्तान तथा दीपालपुर की सूबेदारी सौंप दिया।

1414ई में खिज्र खाँ दिल्ली का सुल्तान बन गया लेकिन इसने अपने जीवन काल में कभी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की और न ही अपने नाम का खुतबा पढ़वाया। खिज्र खां ने रैयत-ए-आला की उपाधि धारण की जिसका अर्थ होता है 'मातहत' अर्थात 'अधीन' ।

इसके सिक्कों पर तुगलक सुल्तानों तथा तैमूर व तैमूर के उत्तराधिकारी शाहरुख़ का नाम अंकित मिलता है। खिज्र खां स्वयं को तैमूर के पुत्र एवं उत्तराधिकारी शाहरुख़ के प्रतिनिधि के रूप में शासन करने वाला बताता था।

खिज्र खां की मृत्यु 20 May , 1421 को हुई।

सैयद वंश : मुबारकशाह


शासनकाल : 1421ई से 1434ई तक



खिज्र खाँ की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र मुबारक खां ने अपना नाम परिवर्तित कर मुबारकशाह के नाम से दिल्ली का सुल्तान बना। मुबारकशाह, रैयत-ए-आला की उपाधि से संतुष्ट नहीं था इसलिए उसने स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया। इसने सुल्तान व शाह की उपाधि धारण किया था.

मुबारकशाह सैय्यद वंश का सबसे महान शासक था। वह कठिन परिस्थितियों में गद्दी पर बैठा था, उसके समय में अनेक विद्रोह हुए थे जिनका सामना उसने वीरतापूर्वक किया था.

मुबारकशाह ने विश्वविख्यात इतिहासकार याहिया-बिन-अहमद-सरहिंदी को संरक्षण प्रदान किया था। याहिया-बिन-अहमद-सरहिंदी की पुस्तक का नाम तारीख-ए-मुबारकशाही है। इस पुस्तक में मुबारकशाह के कार्यों का वर्णन उपलब्ध है.

मुबारकशाह ने अपने नाम खुतबा पढ़वाया था और अपने नाम के सिक्के चलवाये थे। इसने तुगलक सुल्तानों, तैमूर तथा तैमूर के वंशजों के नाम सिक्कों से हटवा दिया.

1433ई में इसने मुबारकाबाद नामक एक नगर बसाया जोकि यमुना नदी के किनारे स्थित था। 19 February 1434ई में सिद्धपाल नामक एक व्यक्ति ने मुबारकशाह की हत्या कर दी.

इसे भी पढ़ें : फिरोजशाह तुगलक का इतिहास

सैयद वंश : मुहम्मद शाह


शासनकाल : 1434ई से 1443ई तक



मुबारकशाह की मृत्यु के पश्चात उसका दत्तक पुत्र मुहम्मद शाह गद्दी पर बैठा. यह मुबारकशाह का अपना पुत्र नहीं था.
मुहम्मद शाह , मुबारकशाह के भाई फरीद खां का पुत्र था। परंतु मुहम्मद शाह एक अयोग्य शासक था. मुहम्मदशाह का वास्तविक नाम मुहम्मद-बिन-फरीद था.

अपनी अयोग्यता से उसने सैय्यद वंश के पतन का मार्ग सुनिश्चित किया। उसकी अयोग्यता का प्रमाण यही से लिया जा सकता है कि मुहम्मदशाह सुल्तान तो बन गया था पर सल्तनत पर असली अधिकार उसके वजीर सरवर-उल-मुल्क का था.

इसने मुबारकशाह के हत्या में शामिल लोगों में सरवर-उल-मुल्क को वजीर (खान-ए-जहाँ) तथा मीरान सद्र को मुईनुल मुल्क की उपाधि प्रदान की.

सरवर-उल-मुल्क ने सत्ता पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए इक्ताओं का पुनर्वितरण कर अपने समर्थकों का एक दल तैयार कर लिया.

इसके शासन काल के दौरान मालवा के शासक महमूद खिलजी ने दिल्ली पर आक्रमण किया किंतु सरहिंद के अफगान सरदार बहलोल लोदी ( सरदार के पद पर ) की सहायता के कारण आक्रमण असफल रहा.

इससे प्रसन्न होकर मुहम्मदशाह ने बहलोल लोदी का सम्मान किया तथा उसे अपना पुत्र कह कर पुकारा और खान-ए-खाना की उपाधि भी दी.
दिल्ली के आस-पास के (लगभग 20 कोस) अमीर मुहम्मद शाह के विरोधी हो गए थे । ऐसी स्थिति में 1443ई में मुहम्मदशाह की मृत्यु हो गयी.

सैयद वंश : अलाउद्दीन आलम शाह


शासनकाल : 1443ई से 1451ई तक



Question : सैयद वंश का अंतिम शासक कौन था ?

सैयद वंश या सैय्यद वंश का अंतिम शासक अलाउदीन आलम शाह था। यह अपने वंश के शासकों में सबसे अयोग्य शासक था। इसके समय में दिल्ली सल्तनत की बाग-डोर सैय्यदों के हाथ से छूट कर लोदियों के हाथ में चली गयी तथा एक कहावत बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हुई वो कहावत थी :-

देशों शाह-ए-आलम का राज्य दिल्ली से पालम तक


1447ई में यह दिल्ली छोड़ कर बदायूं चला गया और वहां स्थायी रूप से बस गया। शासक बनने से पहले अलाउद्दीन आलम शाह बदायूं का राज्यपाल रह चुका था। परंतु बदायूं जाने से पूर्व उसने दिल्ली का शासन अपने पत्नी के दो भाइयों को सौंप दिया। जिनके नाम शहना-ए-शहर तथा अमीरे कोहथे था.

जल्द ही दिल्ली पर शासन को लेकर दोनों भाइयों में विवाद प्रारम्भ हो गया। इस विवाद में एक भाई मारा गया तथा दूसरे भाई को राज्य की जनता ने मार डाला। अब शासन पूर्णतः लोदियों के हाथ में था । यद्यपि बहलोल लोदी ने , सन 1451ई में लोदी वंश के नाम से एक नए राजवंश की स्थापना कर दी.

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सैय्यद वंश से संबंधित प्रश्न उत्तर (Sayyid dynasty Question and Answer)

1. खिज्र खां की मृत्यु के बाद उसका पुत्र सिंहासन पर बैठा, खिज्र खां के पुत्र का क्या नाम था? 
उत्तर- मुबाकर शाह

2. खिज्र खां ने कौन-सी उपाधि धारण की थी? 
उत्तर- रैयत-ए-आला

3. खिज्र खां को सर्वप्रथम फिरोज शाह ने कहां का सुबेदार नियुक्त किया था? 
उत्तर- मुलतान का सुबेदार नियुक्त किया था.

4. तुगलक-वंश के किस शासक को हटाकर खिज्र खाँ दिल्ली की गद्दी पर बैठा? 
उत्तर- महमूद तुगलक को हटाकर

5. मुबारक शाह ने किस नये नगर का निर्माण करवाया था? 
उत्तर- मुबारकाबाद

6. याहिया बिन अहमद सरहिन्दी किसके दरबार में आश्रय पाते थे? 
उत्तर- मुबारक शाह

7. सैय्यद-वंश का अन्तिम शासक कौन था? 
उत्तर- अलाउद्दीन आलम शाह

8. याहिया बिन अहमद सरहिन्दी ने किस पुस्तक की रचना की थी? 
उत्तर- तारीख-ए-मुबारकशाही नामक पुस्तक की रचना की थी.

9. सैय्यद-वंश की समाप्ति के बाद दिल्ली पर किस नये वंश का शासन स्थापित हुआ था? 
उत्तर- लोदी वंश

10. सैय्यद वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर- खिज्र खां

11. सैय्यद वंश ने कुल कितने वर्षों तक दिल्ली पर राज किया था? 
उत्तर- 37 वर्ष

12. तैमूरलंग ने दिल्ली पर आक्रमण कर वापस लौटते समय खिज्र खाँ को कौन सी उपाधि प्रदान की थी?
 उत्तर- रैयत ए आला

13. सैय्यद वंश के किस शासक ने सबसे अधिक समय तक शासन किया था? 
उत्तर- अलाउद्दीन आलमशाह

14. यमुना नदी के किनारे पर बसे मुबारकाबाद की स्थापना सैय्यद वंश के किस शासक ने की थी? 
उत्तर- मुबारक शाह

15. बहलोल लोदी को सैय्यद वंश के किस शासक ने खानेखाना की उपाधि प्रदान की थी? 
उत्तर- मुहम्मद शाह

16. सैय्यद वंश का अंत किस वर्ष हुआ था? 
उत्तर- 1451 में

17. सैयद वंश के बारे में जानकारी पर अहम ऐतिहासिक पुस्तक तारीख ए मुबारक शाही को लिखने का कार्य याहिया बिन अहमद ने किस शासक के शासनकाल में किया था?
उत्तर- मुबारक शाह

18. किस सैय्यद वंशी शासक के शासनकाल में भठिंडा तथा दोआब में विद्रोह हुआ था? 
उत्तर- मुबारक शाह

19. सैय्यद वंश ने कुल कितने वर्ष शासन किया था? 
उत्तर- 36 वर्ष

20. खिज्र खां की मृत्यु किस वर्ष हुई थी? 
उत्तर- 1421 ई.

21. सैय्यद वंश की स्थापना किस वर्ष हुई थी? 
उत्तर- 1414 में

22. सैय्यद वंश कौन सा मुस्लिम परिवार बना जिसने दिल्ली पर शासन किया? 
उत्तर- चौथा

23. सैय्यद वंश में कुल कितने शासकों ने शासन किया था? 
उत्तर- चार

24. सैय्यद वंश का अंतिम शासक कौन था? 
उत्तर- अलाउद्दीन आलमशाह

25. सैय्यद वंश का संस्थापक खिज्र खाँ किसका सेनापति था? 
उत्तर- तैमूरलंग

26. सैय्यद वंश ने किस वंश को समाप्त कर दिल्ली प्रशासन प्राप्त किया था? 
उत्तर- तुगलक वंश
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