भारत पर अरबों का आक्रमण(Arab invasion of india in hindi): इस पोस्ट में हम अरबों के द्वारा भारत पर किये गए आक्रमण का कारण व स्पष्टीकरण पढ़ेंगे, तथा जजिया कर से सम्बंधित कुछ तथ्यों को भी पढ़ेंगे।
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भारत पर मुस्लिमों में सर्वप्रथम जिसका आक्रमण हुआ वे अरबी थे।
यह आक्रमण अरब खलीफा उमर (634-644) के समय में 636 ई. के आस-पास बम्बई के निकट (थाना) क्षेत्र में हुआ था। यह आक्रमण असफल रहा।
इसके बाद 647 ई. में खलीफ़ा उस्मान (644-656 ई.) के शासन काल में भी एक असफल अरब आक्रमण हुआ। 711 ई. में हज्जाम ने उबैददुल्लाह व बुदैल को सिंध क्षेत्र पर आक्रमण के लिए भेजा गया।
परन्तु वह भी सफल न हुआ। इसके बाद मुहम्मद-बिन-कासिम(Muhammad bin Qasim) को भेजा गया।
ऐसा माना जाता है कि 708 ई. में श्री लंका (सेरेन द्वीप) से आ रहे अरबी जहाज को देवल बंदरगाह (गुजरात) के निकट लूट लिया गया।
तब अलहज्जाज ने सिंध के तात्कालिक शासक दाहिर (Raja Dahir) को उन लुटेरों को सौपने को कहा दाहिर ने ऐसा कर पाने में असर्मथता दिखायी क्योंकी लुटेरे उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते थे।
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भारत पर अरबों का आक्रमण(Arab invasion of India in Hindi)
भारत पर मुस्लिमों में सर्वप्रथम जिसका आक्रमण हुआ वे अरबी थे।
यह आक्रमण अरब खलीफा उमर (634-644) के समय में 636 ई. के आस-पास बम्बई के निकट (थाना) क्षेत्र में हुआ था। यह आक्रमण असफल रहा।
इसके बाद 647 ई. में खलीफ़ा उस्मान (644-656 ई.) के शासन काल में भी एक असफल अरब आक्रमण हुआ। 711 ई. में हज्जाम ने उबैददुल्लाह व बुदैल को सिंध क्षेत्र पर आक्रमण के लिए भेजा गया।
परन्तु वह भी सफल न हुआ। इसके बाद मुहम्मद-बिन-कासिम(Muhammad bin Qasim) को भेजा गया।
मुहम्मद-बिन-कासिम (Muhammad-Bin-Qasim) का आक्रमण:
ऐसा माना जाता है कि 708 ई. में श्री लंका (सेरेन द्वीप) से आ रहे अरबी जहाज को देवल बंदरगाह (गुजरात) के निकट लूट लिया गया।
तब अलहज्जाज ने सिंध के तात्कालिक शासक दाहिर (Raja Dahir) को उन लुटेरों को सौपने को कहा दाहिर ने ऐसा कर पाने में असर्मथता दिखायी क्योंकी लुटेरे उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते थे।
इस से क्रुद्ध होकर अलहज्जाज ने मुहम्मद-बिन-कासिम(Muhammad bin Qasim) को सिंध क्षेत्र पर आक्रमण के लिए भेजा अरबों ने सिंध क्षेत्र के देवल बंदरगाह पर सर्वप्रथम आक्रमण किया और 20 जून 712 ई (रावोर का युद्ध) को सिंध का शासक दाहिर मुहम्म्द-बिन-कासिम(Muhammad bin Qasim) के विरुद्ध लड़ता हुआ मारा गया।
इसके बाद मुहम्मद-बिन-कासिम(Muhammad bin Qasim) ने बहमनाबाद या ब्राह्मणवाद पहुँच कर दाहिर के पुत्र जयसिंह को पराजित किया तथा आरौर (सिंध की राजधानी) की विजय के साथ मुहम्मद बिन कासिम(Muhammad bin Qasim) का सिंध विजय अभियान पूरा हो गया.
इसके बाद मुहम्मद-बिन-कासिम(Muhammad bin Qasim) ने बहमनाबाद या ब्राह्मणवाद पहुँच कर दाहिर के पुत्र जयसिंह को पराजित किया तथा आरौर (सिंध की राजधानी) की विजय के साथ मुहम्मद बिन कासिम(Muhammad bin Qasim) का सिंध विजय अभियान पूरा हो गया.
उसने मुल्तान का भी विजय किया जो सिंध क्षेत्र में किया जाने वाला अंतिम विजय अभियान था। मुहम्मद बिन कासिम(Muhammad bin Qasim) को 715 ई. में भारत से वापस बुला लिया गया।
अरबों के सिंध विजय की जानकारी 'चचनामा' से प्राप्त होती है। दाहिर के पिता का नाम 'चच' था और माता का नाम सुहान्दी(Suhandi) था। अरब आक्रमणकारी 'बोलन दर्रे' के रास्ते भारत आये थे। अरबों ने सिंध में 'ऊँट पालन' और 'खजूर की खेती' का प्रचलन किया। सिंध में 'दिरहम' नामक सिक्के का प्रचलन भी अरबों ने ही किया।
भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण के वर्ष के सन्दर्भ में मतभेद है। बी.डी. महाजन(V.D.Mahajan - Mahajan Vidyadhar) की पुस्तक के अनुसार मोहम्मद बिन कासिम(Muhammad bin Qasim) ने 711 में आक्रमण किया था , जबकि हरिशचन्द्र वर्मा के अनुसार यह तिथि 712 है।
अरबों के सिंध विजय की जानकारी 'चचनामा' से प्राप्त होती है। दाहिर के पिता का नाम 'चच' था और माता का नाम सुहान्दी(Suhandi) था। अरब आक्रमणकारी 'बोलन दर्रे' के रास्ते भारत आये थे। अरबों ने सिंध में 'ऊँट पालन' और 'खजूर की खेती' का प्रचलन किया। सिंध में 'दिरहम' नामक सिक्के का प्रचलन भी अरबों ने ही किया।
भारत पर अरबों का आक्रमण(Arab invasion of india in hindi) - प्रथम मुस्लिम आक्रमण पर मतभेद :
भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण के वर्ष के सन्दर्भ में मतभेद है। बी.डी. महाजन(V.D.Mahajan - Mahajan Vidyadhar) की पुस्तक के अनुसार मोहम्मद बिन कासिम(Muhammad bin Qasim) ने 711 में आक्रमण किया था , जबकि हरिशचन्द्र वर्मा के अनुसार यह तिथि 712 है।
जजिया कर(Jizya or Jizyah):
- मुहम्मद बिन कासिम(Muhammad bin Qasim) पहला ऐसा मुस्लिम शासक था, जिसने सिंध क्षेत्र में रहने वाले हिन्दूओं के साथ साथ बौद्धों पर भी जजिया कर लगाया था।
- ब्राह्मण , महिलाएं, बच्चे , अपाहिज, साधु-संन्यासी, भिखारी जजिया कर से मुक्त थे।
- फिरोजशाह तुगलक पहला ऐसा मुस्लिम शासक था जिसने 1376 ई० में ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगा दिया था।
- अकबर ने 1564 में जजिया कर(Jizya or Jizyah) को समाप्त किया पर औरंगजेब ने 1679 ई. में इसे फिर से लगा दिया।
- जजिया कर(Jizya or Jizyah) को अंतिम रूप से समाप्त करने का श्रेय 1720 ई. में उत्तरवर्ती शासक "मोहम्मद शाह रंगीला" को जाता है।